फिनाइल उद्योग (Phenol Industry)
हमें होनेवाली अधिकांश बीमारियां जीवाणु विषाणु या विभिन्न प्रकार के कीड़े-मकोड़ों आदि के कारण होती हैं। बहुत से ऐसे कीट हैं जो शौचालयों, नालियों और कूड़ेदान आदि में पाए जाते हैं। इसके कारण इन स्थानों पर तेज दुर्गंध होती है। इस दुर्गध को दबाने के लिए आजकल अनेक प्रकार की फिनाइल बाजार में उपलब्ध है। इस फिनाइल को बनाने के लिए किसी विशेष मशीन की आवश्यकता नहीं पड़ती। साथ ही, इस उद्योग को कम पूंजी में शुरू किया जा सकता है। फिनाइल दो प्रकार की होती है-ठोस तथा द्रव टिकिया के रूप में। फिनाइल रोजिन क्रियोजोट ऑयल और साबुन के पानी बनाया जाता है। फिनाइल काले-भूरे रंग का होता है। पानी में डाल देने पर इससे दूधिया रंग का कीटाणुनाशक घोल बन जाता है। हमारे देश में तीन ग्रेड की फिनाइल बनाई जाती है। ग्रेड की फिनायल में क्रियोजोट ऑयल की सांद्रता कम होती है जबकि तीसरे ग्रेड में क्रियोजोट ऑयल अधिक मात्रा में मिला होता है। इसके विपरीत दूसरे ग्रेड में यह मध्यम मात्रा में मिला रहता है। क्रियोजोट ऑयल का निर्माण क्राइसिलिक क्रियोजोट से होता है। फिनाइल के मुख्य घटक क्राइसिलिक क्रियोजोट और उसमें मिले टार एसिड का रोजिन, अलसी के तेल और अरंडी के तेल से बने मुलायम साबुन के साथ घोल बना लिया जाता है। इस घोल को इमल्शन फिनाइल कहते हैं। काले रंग की फिनाइल में आमतौर पर निम्न घटक रहते हैं:
क्राइसिलिक क्रिओजोट
(35% टार एसिडवाला) 52%
रोजिन सोप 33%
पानी 15%
ग्रेड नं. 1 के लिए
बिरोजा 80%
अलसी का तेल 10%
अरंडी का तेल 10%
या
बिरोजा 70%
अलशी का तेल 5%
अरंडी का तेल 15%
बिनौले का तेल 15%
ग्रेड नं. 2 के लिए
बिरोजा। 30%
अलसी का तेल 40%
अरंडी का तेल 30%
ग्रेड नं. 3 के लिए
बिरोजा 15%
अलसी का तेल 35%
अरंडी का तेल 35%
बिरोजा 10%
अलसी का तेल 25%
अरंडी का तेल 50%
बिनौले का तेल 15%
ग्रेड नं. 1 में: 1से 2 तक
1:1 से 6 तक
1 से 2 तक
ग्रेड नं. 2 में: 1से 5 तक
1:1 से 4 तक
1 से 5 तक। 1 से 6
ग्रेड नं. 3 में:
निर्माण विधि: कास्टिक सोडा, अरंडी का तेल तथा पिघले हुए बिरोजे को मिलाकर सॉफ्ट सोप बनाया जाता है। इस सॉफ्ट सोप को गर्म पानी में घोल लिया जाता है और इसमें क्रियोजोट ऑयल मिला की अच्छी तरह हिला-मिला लिया जाता है। यही फिनाइल का घोल है। पानी में घले देने के बाद इसका रंग दूधिया हो जाता है। यह रोगाणुनाशक तथा दुर्गंध दूर करते में मददगार होता है। अस्पताल में उपयोग की जाने योग्य फिनाइल बनाने के लिए निम्नलिखित घटकों का इस्तेमाल किया जाता है:
अस्पताल के लिए फिनाइल
रोजिन 2.5 किग्रा
2 किग्रा मूंगफली का तेल
कास्टिक सोडा (95 प्रतिशत) 250ग्राम
कास्टिक पोटाश 250 ग्राम
पानी (कास्टिक सोडा घोलने के लिए) 2 गैलन
हल्का क्रिओजोट ऑयल 4गैलन
कार्बोलिक एसिड 1/2 ओस
मृदु जल 1/2 से 1 गैलन
निर्माण विधि: सबसे पहले रोजिन को धीमी आंच पर पकाया जाता है। फिर इसमें मूंगफली का तेल मिला लिया जाता है। जैसे ही इसमें से धुआं निकलना शुरू होता है, पहले से बनाकर रखे गए कास्टिक सोडे के घोल को इसमें डालकर उबाल लिया जाता है। इससे साबुनीकरण की प्रक्रिया अच्छी तरह संपन्न हो जाती है। इस घोल में थोड़ा-थोड़ा पानी मिलाकर चलाते रहते हैं। साबुनीकरण की प्रक्रिया पूरी होने पर जैली जैसा एक पदार्थ तैयार हो जाता है। अब इसको आंच से उतारकर इसमें एक या दो गैलन पानी बनाकर साबुन का घोल तैयार कर लिया जाता है और हल्का क्रियोजोट ऑयल और कार्बोलिक एसिड मिला लिया जाता है। बाकी बचे पानी को इसमें डालकर फिनाइल बना लेते हैं। इस मिश्रण को 10-15 मिनट तक लकड़ी या बांस के डंडे से चलाते हैं। ताकि तेल और पानी अच्छी तरह घुल-मिल जाए। एक-दो दिन तक बड़े डूरमों में रखने के बाद इसे डिब्बों में पैक कर दिया जाता है।
अन्य फार्मूला
रोजिन
अरंडी का तेल
कास्टिक सोडा
कास्टिक पोटाश
क्लोरीनेटेड क्रिओजोल
क्लोरीनेटेड फिनॉल
मदु जल
10 पौंड
4 पौंड
1 पौंड
1 सही 1/8
1.25 पौंड
0.25 पौंड
5 गैलन
निर्माण विधि: सबसे पहले कास्टिक पोटाश और कास्टिक सोडा को दो बैलन पानी में छोलने के बाद ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है। रोजिन को पिघलाने के बाद उसमें सल्फोनेटेड अरंडी का तेल मिला दिया जाता है। अब आंच को धीरे-धीरे कम करने के सावधानीपूर्वक इस घोल में अल्कली के घोल को डालते हैं। इस मिश्रण को तब तक धीरे-धीरे हिलाते रहते हैं, जब तक। साबुन ने बन जाए। इसके बाद इसे आंच से उतारकर सामान्य तापमान पर ठंडा किया जाता है। इसके बाद इसमें क्लोरीनेटेड क्रियोजोल तथा क्लोरीनेटेड फिनाइल को डालकर अच्छी तरह हिला लेते हैं। शेष बचे तीन गैलन पानी को दमामें मिलाने के बाद डूम में बंद करके कुछ दिनों तक रखने के बाद इसे पैक कर लिया जाता है।
फिनाइल बनाने का फार्मूला
रोजिन 11 kg
कास्टिक सोडा 1.5kg
पानी 6 गैलन
क्रिओजोट ऑयल 6 गैलन
मदु जल 24 गैलन
निर्माण विधिः इस फार्मूले से फिनाइल बनाने की विधि ऊपर बताए गए फार्मूले के समान ही है। इस विधि द्वारा फिनायल बनाते समय इस बात का अवश्य ध्यानं रखा जाना चाहिए कि इस्तेमाल होनेवाला पानी
स्पेशल टाइप फिनाइल
रोजिन 11kg
अलसी का तेल 1.5 kg
मृदु जल 8 गैलन
कास्टिक सोडा98% 0.24 kg
पानी
हल्का क्रिओसोट ऑयल
क्राइसिलिक एसिड
मृदु जल
रोजिन 2.5 kg
अरंडी का तेल 1kg
पानी (कास्टिक सोड 1.5 kg
निर्माण विधिः इस फार्मूले से फिनाइल बनाने की विधि पहले बताई गई विधियों ।
के समान ही है। यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है कि फिनाइल की कीटाणुनाशक
शक्ति बढ़ाने के लिए उसमें कार्बोलिक एसिड मिला दिया जाता है।ठोस फिनाइलआ मतौर पर घरों आदि में ठोस फिनाइल का इस्तेमाल द्रव के रूप में होता हैले किन इसे लाने-ले जाने में कठिनाई होती है। इसलिए कुछ लोग ठोस फिनाइलका इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करते हैं। ठोस फिनाइल टिकियों तथा गोलियोंदो नों अवस्थाओं में मिलती है। ठोस फिनाइल न केवल सस्ती होती है बल्किइ सके बहने या गिरने का भी कोई डर नहीं होता। ठोस फिनाइल बनाने केचु ने हुए फार्मूले हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
कुछ
टैलो या स्टीयरिक एसिड
रोजिन
अरंडी का तेल
5 पौंड
3 पौंड
1/2 पौंड
1 गैलन
1
हल्का क्रिओजोट ऑयल
नैपथलीन
कास्टिक सोडा
पानी
0.25 पौंड
1.25 पौंड
2 पौंड
निर्माण विधिः ठोस फिनाइल बनाने के लिए लोहे के बर्तन को आग मेंर खकर उसमें रोजिन और स्टीयरिक एसिड या टैलो डाल दिया जाता है। पिघलजा ने पर इसमें सल्फोनेटेड अरंडी का तेल और क्रियोजोट ऑयल मिला देते हैं।ए क अलग बर्तन में कास्टिक सोडा घोलकर इसकी लाई बना ली जाती है। इसका स्टिक लाई को रोजिन के पिघले मिश्रण में डालकर तब तक हिलाते रहते हैं।
जब तक गाढ़ा पेस्ट नहीं बन जाता। इसके बाद इसमें नैफ्थलीन पाउडर डालकर बर्तन को आंच से उतार लिया जाता है। इस मिश्रण को तुरंत डिब्बों में बंद करदि या जाता है क्योंकि नैप्थलीन तत्काल वाष्पीकृत हो जाती है।
लाइट क्रिओसोट ऑयल 9 पोंड
नैफ्थलीन पाउडर 1पोंड
कास्टिक सोडा 1 पोंड
पानी 2.5 पौंड
निर्माण विधि रोजिन और टैलो को पिघलाने के दौरान ही कास्टिक सोडे की लाई को इसमें मिलाकर सामान्य तापक्रम पर ठंडा कर लिया जाता है। इसके बाद इसमें क्रियोजोट ऑयल मिलाकर मिश्रण को हिलाया जाता है। नैफ्थलीन पाउडर को इसमें डालने के बाद कंटेनर को बंद कर दिया जाता है और वांछित आकार के टुकड़ों को बाद में काट लिया जाता है।
टैलो
रोजिन
क्रिओजोट ऑयल
कास्टिक सोडा लाई (66° टीडब्ल्यू)
৪ पौंड
8 पौंड
5 पौंड
9 पौंड
निर्माण विधि: टैलो और रोजिन को एक साथ पिघलाकर कास्टिक सोडे की
लाई मिला ली जाती है। जैली बन जाने के बाद इस मिश्रण को आंच से उतार
लिया जाता है। अब इसको अच्छी तरह हिलाने के बाद इसमें क्रियोसोट ऑयल
मिला लिया जाता है। इस मिश्रण को आयताकार टैंक में ठंडा कर लिया जाता है।
ठंडा होने के बाद इसे वांछित आकार के टुकड़ों में काट लिया जाता
4
रोजिन
30 ग्राम
महुए का तेल
कास्टिक सोडा
पानी
क्रिओसोट ऑयल
कार्बोलिक एसिड
निर्माण विधि: पानी में कास्टिक सोडा घोलकर लाई बनाएं और इसे ठंडा कर लें। एक दूसरे बर्तन में रोजिन के छोटे-छोटे टुकड़े और तेल को धीमी आंच पर गर्म करें। रोजिन के पिघल जाने के बाद कास्टिक सोडे के घोल को डालकर अच्छी तरह हिला-मिला लें। इसके बाद इसमें कार्बोलिक एसिड और क्रियोजोट ऑयल के मिश्रण को डाल दें और अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण को तब तक पकाएं जब तक यह गाढ़ा न हो जाए। इसके पश्चात इसे साबुन जमाने के फ्रेम में जमाने के बाद फ्रेम खोलकर वांछित आकार की टिकिया काटकर पैक कर लें।
पाइन ऑयल डिसइन्फेक्टेन्ट
फिनाइल की गंध के कारण कुछ लोग इसे पसंद नहीं करते। इसलिए पाइन ऑयल के तेल से बनाए कीटाणुनाशक इमल्शन का इस्तेमाल करने का प्रचलन बढ़ रहा है। इसे बनाने का एक फार्मूला इस प्रकार है:
पाइन ऑयल
वुड रोजिन
कास्टिक सोडा
(25% घोल)
1,000 भाग वजन के अनुसार
400 भाग वजन के अनुसार
500 भाग वजन के अनुसार
Thanks for this read my blogs
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteWonderful
ReplyDelete